पहले कप्तानी छीनी अब लेग-स्पिन करो: Gambhir पीछे पड़े हैं Pandya के!




आज की टीम इंडिया (Team India) एक युवा टीम है। Rohit Sharma (रोहित शर्मा), Virat Kohli (विराट कोहली) और Ravindra Jadeja (रविन्द्र जडेजा) तो हैं नहीं। जो हैं टीम में उनको भी ये मालूम है कि उनके पीछे उन्हीं के रिप्लेसमेंट बैठे हैं। Rishabh Pant (ऋषभ पंत)  फेल हुए तो Sanju Samson (संजु सैमसन) हैं। कोई एक मिडल ऑर्डर का बैट्समैन फेल हुआ तो Riyan Parag (रियान पराग) बैठे हैं। Rinku Singh (रिंकू सिंह) जैसे होनहार तक को लगातार मौक़े नहीं मिलते हैं। साफ़ है टीम में वो बना रहेगा जो एक दो मैचों में नहीं बल्कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करे । नहीं तो सैकड़ा लगा के भी Abhishek Sharma (अभिषेक शर्मा) बाहर बैठे हैं। Ruturaj Gaikwad (रुतुराज गायकवाड़) का हल्ला है पर टीम में कभी खिलाए गए, तो कभी नहीं। ऐसे में जो टीम में है उसको रणनीति के हिसाब से भी खेलना है और अपनी योग्यता भी सिद्ध करनी है अब Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) को ले लीजिए। अच्छे फ़ील्डर हैं, बैट्समैन भी और बॉलर भी। पूरा एक पैकेज है। पर अगर विकेट स्पिनर की हो और तीन स्पिनर खिलाने पड़ें, तो गाज Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) पर गिरेगी। ऐसे में टीम में बने रहने के लिए Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) श्रीलंका (Sri Lanka) में स्पिन बोलिंग करते देखे गए। प्रैक्टिस के सत्र में Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) ने लेग स्पिन गेंदबाज़ी करने की कोशिश की। मतलब तोप हो, वर्ल्ड कप (World Cup) जीता के आये हो, पर भाई, कुछ और चाहिए। जैसे कोई महिला साड़ी की दुकान में बार बार ये कहती है ना: भैया अच्छा है, पर कुछ और दिखाओ। यानी साड़ियों का पहाड़ बन जाता है पर मैडम को कुछ और चाहिए। इसी तरह से आजकल टीम इंडिया (Team India) के लड़कों से दिलेरी की भी माँग है पर साथ साथ हर बार अच्छा प्रदर्शन भी चाहिए। फ़िलहाल Yashasvi Jaiswal (यशसवी जायसवाल) को कोई ख़तरा नहीं है। सिर्फ़ 47 रन चाहिए इस साल, यानी 2024 में अपने 1000 अंतररिष्ट्राय रन पूरे करने के लिए। बहुत बड़ी उपलब्धि है। पर अगर आप Yashasvi Jaiswal (यशसवी जायसवाल) से पूछेंगे तो वो कहेंगे: जो गुज़र गया वो गुज़र क्या। आज मैं क्या कर रहा हो, ये इंपोर्टेंट बात है। Shubman Gill (शुबमन गिल), Rishabh Pant (ऋषभ पंत) और Suryakumar Yadav (सूर्यकुमार यादव) को भी फ़िलहाल कोई ख़तरा नहीं है। पर Shivam Dube (शिवम दुबे) हो गये, या Rinku Singh (रिंकू सिंह), इनपर दबाव बना ही रहेगा। इनसे उम्मीद की जाती है कि इनका स्ट्राइक रेट 175 से ऊपर का हो। अगर कुछ मैचों में ये नहीं हुआ, तो दरवाज़ा उधर है भाई। फ़िलहाल दुबे का प्लस पॉइंट स्पिनरों को धुनना है। नहीं तो उनका स्ट्राइक रेट 136 का है जो कुछ ख़ास नहीं है। पर मिडल ओवर में वो स्पिनरों की बखिया उधेड़ सकते हैं। वही टीम को चाहिए। नहीं किया तो भाई हटिए, किसी और को मौक़ा दीजिए। Rinku Singh (रिंकू सिंह) से उम्मीद है कि आख़िरी दो ओवरों में 35 रन बनाने है, तो छोटू बना देगा। इससे मतलब नहीं है कि पहले के बल्लेबाज़ों ने क्या किया। पर आप तो अपना रोल ठीक से करिए ना। सचाई ये हैं की टीम इंडिया (Team India) में आने से ज़्यादा मुश्किल है टीम इंडिया (Team India) में बने रहना। आपमें योग्यता भी हो, कोच और कप्तान भी आप को पसंद करते हों, और तक़दीर भी आपकी ज़बर्दस्त हो। अब श्रीलंका (Sri Lanka) के दौरे पर मालूम चलेगा कि कौन बना हीरो और कौन जीरो।